tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post1412671385575978349..comments2023-04-14T20:14:39.527+05:30Comments on इस्लाम इन हिन्दी: अल्लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहींMohammed Umar Kairanvihttp://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-88101796926641763612017-01-14T23:49:51.263+05:302017-01-14T23:49:51.263+05:30क़ुरान के अनुसार औरते तुम्हारी खेतिया है चाहे आगे स...क़ुरान के अनुसार औरते तुम्हारी खेतिया है चाहे आगे से आओ या पीछे से इसका क्या मतलब है इसमें कोण सी जिम्मेदारी की बात की जा रही है<br /><br />क़ुरान अश्लीलता से भरा पड़ा है ये अल्लाह की नहीं मुहम्मद के दिमाग की उपज है<br />प्रभाकर आर्यhttps://www.blogger.com/profile/11086345169342881097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-41963336726315897002016-09-04T04:03:01.926+05:302016-09-04T04:03:01.926+05:30इस पोस्ट की बात को इस लिंक पर और बेहतर समझा जा सकत...इस पोस्ट की बात को इस लिंक पर और बेहतर समझा जा सकता है <br /><br /><a href="http://www.haqeqat.com/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A4%86%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%87%E0%A4%B2%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%AE/" rel="nofollow"><br />Quran क़ुरआन को बेहतर समझने के लिए</a><br />http://www.haqeqat.com/कुरआन-पर-बेबुनियाद-इलज़ाम/<br />Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/00958476404864434157noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-9011374533746154272011-08-02T14:02:18.142+05:302011-08-02T14:02:18.142+05:30मैं जनाब saga की बात से पूरी तरह सहमत हूँ और ये बह...मैं जनाब saga की बात से पूरी तरह सहमत हूँ और ये बहोत ही माकूल जवाब है indian भाई साहब को जज़ाकल्लाहImran ahmad "ajnabi"https://www.blogger.com/profile/14403856623213748754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-68138739117725795352010-11-14T01:25:56.810+05:302010-11-14T01:25:56.810+05:30@indian
जन्नत माँ के क़दमों के नीचे है और औरते तुम्...@indian<br />जन्नत माँ के क़दमों के नीचे है और औरते तुम्हारी खेती है ये बाते मुहवारतन कही गयी हे litrature वाले जानते हैं की उपमा और अलंकार क्या होते है या simile एंड mataphar <br />माँ के सन्दर्भ में जो बात कही गयी है जन्नत माँ के क़दमों के नीचे है वो माँ का मर्तबा या शान बताने के लिए है और जो ये कहा गया है की औरते तुम्हारी खेती है वो मर्दों को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास दिलाने के लिए है की जिस तरह एक किसान के लिए खेती बहुत अहम् होती है और उसकी देख भाल करता है उसी तरह मर्दों पर इस्लाम ने ये वाजिब कर दिया है की जितनी अच्छी तरह से अपनी औरतों बहन बेटियों की देखभाल करोगे उतना ही अचछा फल पाओगे यहाँ भी और क़यामत के दिन भी जब हर इंसान के कर्मों का हिसाब होगा<br />इस्लाम में हर परिस्तिथि के लिए नियम है और प्रत्येक व्यक्ति पर सामान रूप से लागु होता हैUnknownhttps://www.blogger.com/profile/00957141696010674003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-71296722490018186832010-05-11T14:29:07.372+05:302010-05-11T14:29:07.372+05:30This comment has been removed by the author.Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-73609179605027304992010-05-01T16:32:29.657+05:302010-05-01T16:32:29.657+05:30मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि , जिसकी अपेक्षा मै...मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि , जिसकी अपेक्षा मै आप के ब्लॉग के माध्यम से उन तमाम लोगों से भी करता हूं कि, जबभी धार्मिक /सामाजिक विषयों पर चर्चा हो तो हमे खुले दिल से चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि जब भी बहस होती है तो फिर उसमे कुतर्क भी होने लगता है क्योंकि बहस दिमाग की उपज होती है और आध्यात्मिक विषयों पर , कुरआन, वेद, आदि ग्रंथों पर दिमाग से नही बल्कि दिल से चर्चा होना चहियेPRADEEPhttps://www.blogger.com/profile/02786616277153761279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-44630212971167458362010-05-01T13:57:52.137+05:302010-05-01T13:57:52.137+05:30क़ुरआन ऐसी पुस्तक है जिसके आधार पर एक क्रांति लाई...क़ुरआन ऐसी पुस्तक है जिसके आधार पर एक क्रांति लाई गई। रेगिस्तान के ऐसे लोगों को जिनका विश्व के मानचित्र में उस समय कोई महत्व नहीं था। क़ुरआन की शिक्षाओं के कारण, उसके प्रस्तुतकर्ता के प्रशिक्षण ने उन्हे उस समय की महान शाक्तियों के समक्ष ला खड़ा किया और एक ऐसे क़ुरआनी समाज की रचना मात्र २३ वर्षों में की गई जिसका उत्तर विश्व कभी नहीं दे सकता।<br />आज भी दुनिया के करोड़ों मुसलामान मानते है कि क़ुरआन और हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने एक आदर्श समाज की रचना की। इस दृष्टि से यदि क़ुरआन का अध्ययन किया जाए तो आपको उसके साथ पग मिला कर चलना होगा। उसकी शिक्षा पर विचार करें। केवल निजी जीवन में ही नहीं बल्कि सामाजिक, राजनैतिक और क़ानूनी क्षैत्रों में, तब आपके समक्ष वे सारे चरित्र जो क़ुरआन में वर्णित हैं, जीवित दिखाई देंगे। वे सारी कठिनाई और वे सारी परेशानी सामने आजाऐंगी। तन, मन, धन, से जो समूह इस कार्य के लिए उठे तो क़ुरआन की हिदायत हर मोड़ पर उसका मार्ग दर्शन करेगी।<br />क़ुरआन विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरा है, और उसके वैज्ञानिक वर्णनों के आगे वैज्ञानिक नतमस्तक हैं। <br />जिस समय क़ुरआन अवतारित हुआ उस युग में उसका मुख्य चमत्कार उसका वैज्ञानिक आधार नहीं था। उस युग में क़ुरआन का चमत्कार था उसकी भाषा, साहित्य, वाग्मिता, जिसने अपने समय के अरबों के भाषा ज्ञान को झकझोर दिया था। यहां स्पष्ट करना उचित होगा कि उस समय के अरबों को अपने भाषा ज्ञान पर इतना गर्व था कि वे शेष विश्व के लोगों को गूंगा कहते थे। क़ुरआन की शैली के कारण अरब के भाषा ज्ञानियों ने अपने घुटने टेक दिए।PRADEEPhttps://www.blogger.com/profile/02786616277153761279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-45681129399063872752010-05-01T13:56:57.241+05:302010-05-01T13:56:57.241+05:30सही क्या है और ग़लत क्या है, कौन सही है कौन ग़ल...सही क्या है और ग़लत क्या है, कौन सही है कौन ग़लत, मैने यह नही ही कहा है, बहरहाल<br />जिनको आप विद्धान नही मानते उनकी लेख का कुछ अंश प्रस्तुत कर रहा हूं -<br />क़ुरआन में कुल ११४ अध्याय हैं जिन्हें सूरा कहते हैं। बहुचन में इन्हें सूरत कहते हैं। यानि १५वें अध्याय को सूरत १५ कहेंगे। हर अध्याय में कुछ श्लोक हैं जिन्हें आयत कहते हैं। क़ुरआन की ६,६६६ आयतों में से (कुछ के अनुसार ६,२३८) अभी तक १,००० आयतें वैज्ञानिक तथ्यों पर बहस करती हैं ।<br />ऐतिहासिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि इस धरती पर उपस्थित हर क़ुरआन की प्रति वही मूल प्रति का प्रतिरूप है जो हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) पर अवतरित हुई थी। जिसे इस पर विश्वास न हो वह कभी भी इस की जांच कर सकता है। धरती के किसी भी भू भाग से क़ुरआन लीजिए और उसे प्राचीन युग की उन प्रतियों से मिला कर जांच कर लीजिए जो अब तक सुरक्षित रखी हैं।PRADEEPhttps://www.blogger.com/profile/02786616277153761279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-73522006244670321342010-04-30T11:48:29.158+05:302010-04-30T11:48:29.158+05:30@ PRADEEP - आप बताईये इधर कौन गुट बना रहा है, आप अ...@ PRADEEP - आप बताईये इधर कौन गुट बना रहा है, आप अपनी बताओ या यह बताओ किया क्या जाये कैसे किया जाये, मैं ने जो बहतर समझा किया और मैंने सोच समझ कर किया<br /> और अल्लाह बहतर जानता है मैंने गलत नहीं किया<br /><br />जिस विद्वान का आप उद्धृत कर रहे हैं मेरी नजर में विद्वान नहीं है, वह वहां लिखता हैः <br />''यहां तक कि ख़ुद को हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के क़दमों तक पहुंचा दे कि ख़ुद <b> साहबे क़ुरआन</b> का इस बारे में क्या आदेश था?''<br /><br />'साहबे कुरआन' अर्थ हुआ कुरआन का साहब<br />फारसी का नियम है दो शब्दों के बीच में ऐ की आवाज लगा दो वह उसका का, के ,की मतलब होगा<br />दीवाने इकबाल अर्थ इकबाल का दीवान<br />किताबे जमाल अर्थ जमाल की किताब<br /><br />कोई भी मुहम्मद सल्ल. समीत कुरआन का साहब नहीं हो सकता, अल्लाह माफ करेMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-64721754006184423142010-04-29T16:39:09.786+05:302010-04-29T16:39:09.786+05:30मै एक विद्धान के कथन को उद्धृत कर रहा हूं - "...मै एक विद्धान के कथन को उद्धृत कर रहा हूं - " पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.) ने अपने अनुयायियों में सेहतमंद विभेद को बढ़ावा दिया किन्तु मतभिन्नता के आधार पर कट्टरपन और गुटबंदी को आपने पसंद नहीं किया। सेहतमंद मतभिन्नता समाज की प्रगति में सदैव सहायक होती है और गुटबंदी सदैव क्षति पहुंचाती है।"<br /><br />अतः जब भी धार्मिक /सामाजिक विषयों पर चर्चा हो तो हमे पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल-) की उक्त बातें को हमेशा अपने ध्यान में रखना चहिये क्योंकि धार्मिक /सामाजिक विषयों पर केवल चर्चा किया जाता है, बहस या तर्क नही. और ईश वाणी पर तो कतई बहस नही हो सकती. <br />आप ईश वाणी पर बहस करने के लिये लोगों को आमंत्रित कर रहे है, यह आश्चर्य का विषय है. <br /><br /> चर्चा जरूर हो सकती है लेकिन सभी लोगों को (चर्चा करने वाले) संबंधित विषय का पूर्ण ज्ञान हो. तभी चर्चा सार्थक हो सकती है.PRADEEPhttps://www.blogger.com/profile/02786616277153761279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-40430917307515461192010-04-28T20:15:13.130+05:302010-04-28T20:15:13.130+05:30pradeep जी मेरी जानकारी में कुरआन और हदीस में यह क...pradeep जी मेरी जानकारी में कुरआन और हदीस में यह कहीं नहीं गया हाँ अलबता यह जानकारी मिलती है है कि जर्रे जर्रे(कण-कण) से उसके बनाने वाले का पता अर्थात सृ़ष्टा का पता चलता है वह है, क़ायनात की हर चीज एक सबूत है कि वह कोई है जो इस सारी सृष्टि को चला रहा है, उस पर विश्वास में मजबूती लाने के लिये उसके चैलेंज पढे जा सकते हैं<br /><br />signature:<br />आओ विचार करें कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि <br />(इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है? <br />antimawtar.blogspot.com (Rank-2 Blog) <a href="http://antimawtar.blogspot.com/" rel="nofollow">डायरेक्ट लिंक</a><br /><br /><a href="http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/1-7.html" rel="nofollow">अल्लाह का चैलेंज पूरी मानव-जाति को</a><br /><br /><a href="http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/3-7.html" rel="nofollow">अल्लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता</a><br /><br /><a href="http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/5-7.html" rel="nofollow">अल्लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्तक केवल चार</a><br /><br /><a href="http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/4-7.html" rel="nofollow">अल्लाह का चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे में</a><br /><br /><a href="http://http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/2-7.html" rel="nofollow">अल्लाह का चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी</a><br /><br />छ अल्लाह के चैलेंज सहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें<br />islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog) <br /><a href="http://islaminhindi.blogspot.com/" rel="nofollow">डायरेक्ट लिंक</a>Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-72650945277895115442010-04-28T11:14:53.805+05:302010-04-28T11:14:53.805+05:30Mohammad umar sahib,
मैने कुरआन का अध्ययन तो क...Mohammad umar sahib,<br /><br />मैने कुरआन का अध्ययन तो किया नही है, आप से यह जानना चाहूंगा कि, क्या कुरआन/हदीस में यह कहा गया है कि अल्लाह क़ायनात के जर्रे जर्रे मे मौजूद है.PRADEEPhttps://www.blogger.com/profile/02786616277153761279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-48308578347089878412010-03-13T17:06:09.227+05:302010-03-13T17:06:09.227+05:30कुरआन शरीफ में ख़ास मौंकों पर युद्ध ( हिंसा ,Vio...कुरआन शरीफ में ख़ास मौंकों पर युद्ध ( हिंसा ,Violence ) की अनुमति है क्या ? जबकि दुनियां के सारे धर्म अहिंसा ( Non Violence ) की बात करते हैं .और वर्तमान विश्व में अहिंसा की सबसे ज्यादा जरूरत है .आज सारी दुनियां में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है .और हर समझदार इंसान ,बुद्धिजीवी अहिंसा को सलाम करता है. इस समय युद्ध की बात करने वालों को कोई भी अच्छा नहीं कहता .<br />और अगर जिन मौकों पर युद्ध की बात कही गयी है वोह मौके अब नहीं आते तो तो भी बात अटपटी है . ( परिवर्तन की आवश्यकता है .)<br /><br />"पत्नि के बारे में खेत की उपमा से तात्पर्य यह है कि किसान अपने खेत में जब अच्छा जानता है प्रयोजन के अनुसार हल चलाकर अन्न बोता है". मान भी लिया जाए कि औरत (स्त्री ) कि उपमा खेती से की गयी है.परन्तु आज इकीसवी सदी में जब महिलाएं हर जगह पुरषों से कदम से कदम मिला कर चल रहीं हैं और पुरषों से अच्छा प्रदर्शन कर रहीं हैं ऐसे में औरतों की तुलना उस खेती करना जिसमे हल चलाया जाता है ,क्या ठीक है . औरत भी अल्लाह की बनाई है ( यंहां भी परिवर्तन की आवश्यकता है .)सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-79871181957478268392010-03-10T03:09:51.892+05:302010-03-10T03:09:51.892+05:30@ indian - माँ और पत्नि का सम्मान अलग अलग तरह से ...@ indian - माँ और पत्नि का सम्मान अलग अलग तरह से किया जायेगा<br /><br />यह मुहम्मद सल्ल. की हदीस है जो पूरी यूं है कि माँ के पैरों के नीचे जन्नत है तो बाप जन्नत का दरवाजा है,<br /><br />पत्नि बारे में खेत की उपमा से तात्पर्य यह है कि किसान अपने खेत में जब अच्छा जानता है प्रयोजन के अनुसार हल चलाकर अन्न बोता है <br /><br />खेती और हल के सम्बन्ध में कोई विरोघाभाष नहीं <br /><br />मुझे गुस्सा आता है लेकिन आने का तरीका दुनिया से जुदा है वह आप न समझोगे यह मैं जानूं या खुदा जानेMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-39943370214502848672010-03-10T02:55:25.269+05:302010-03-10T02:55:25.269+05:30@ indian - आयत को अगली पिछली आयत के साथ स्वयं पढ ...@ indian - आयत को अगली पिछली आयत के साथ स्वयं पढ लो यह खास मौके लिये थीं, समझदार तो आप हैं ही समझ लेंगें इन्शा अल्लाह<br /><br />hindi translation quran:<br />वे तुमसे पूछते है, "कितना ख़र्च करें?" कहो, "(पहले यह समझ लो कि) जो माल भी तुमने ख़र्च किया है, वह तो माँ-बाप, नातेदारों और अनाथों, और मुहताजों और मुसाफ़िरों के लिए ख़र्च हुआ है। और जो भलाई भी तुम करो, निस्संदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जान लेगा।॥215॥<br /><br />तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया और वह तुम्हें अप्रिय है, और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और जानता अल्लाह है, और तुम नहीं जानते।"॥216॥<br /><br />वे तुमसे आदरणीय महीने में युद्ध के विषय में पूछते है। कहो, "उसमें लड़ना बड़ी गम्भीर बात है, परन्तु अल्लाह के मार्ग से रोकना, उसके साथ अविश्वास करना, मस्जिदे हराम (काबा) से रोकना और उसके लोगों को उससे निकालना, अल्लाह की दृष्टि में इससे भी अधिक गम्भीर है और फ़ितना (उत्पीड़न), रक्तपात से भी बुरा है।" और उसका बस चले तो वे तो तुमसे बराबर लड़ते रहे, ताकि तुम्हें तुम्हारे दीन (धर्म) से फेर दें। और तुममे से जो कोई अपने दीन से फिर जाए और अविश्वासी होकर मरे, तो ऐसे ही लोग है जिनके कर्म दुनिया और आख़िरत में नष्ट हो गए, और वही आग (जहन्नम) में पड़नेवाले है, वे उसी में सदैव रहेंगे॥217॥Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-53485772557221446882010-03-09T21:03:16.597+05:302010-03-09T21:03:16.597+05:30कुरआन शरीफ में कई जगह तो गर्दन काटने तक की भी बात ...कुरआन शरीफ में कई जगह तो गर्दन काटने तक की भी बात कही गयी है. अहिंसा का उपदेश देने वाली कुरआन में हिंसा की बात . यह विरोधाभास नहीं तो क्या है ?सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-54024682280107454782010-03-09T20:54:07.940+05:302010-03-09T20:54:07.940+05:30सारे विश्व को मानवता .भाईचारा का पाठ सिखाने वाली...सारे विश्व को मानवता .भाईचारा का पाठ सिखाने वाली कुरआन में युद्ध की भी वकालत की गयी है.<br /> कुरआन शरीफ सूरा 2 /आयत 216 :- तुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया है.और तुम्हे वोह अप्रिय है .<br />इस आयत का क्या मतलब हुआ ? क्या यहाँ भी अमेरिका वालों की तरह शांति के लिए युद्ध किया जाता है ? जैसे अमेरिका ने अफगानिस्तान और ईराक में किया ?<br />यह विरोधाभास नहीं तो क्या है ?सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-73495269033287985252010-03-09T20:19:10.162+05:302010-03-09T20:19:10.162+05:30आप टी.वी.नहीं देखते यह जानकार ख़ुशी हुई.मैंने भी स...आप टी.वी.नहीं देखते यह जानकार ख़ुशी हुई.मैंने भी सिर्फ अद्यात्मिक चैनल ही देखे हैं.सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-59170907464330147662010-03-09T20:15:00.471+05:302010-03-09T20:15:00.471+05:30अभी बात स्पष्ट नहीं हुई. औरतों को खेती क्यों कहा ग...अभी बात स्पष्ट नहीं हुई. औरतों को खेती क्यों कहा गया (जब कोई बिना इजाजत किसी दूसरे की वस्तु या कोई चीज लेता है तो कहा जाता है कि ,"क्या तुम्हारे बाप कि खेती है ?)<br />औरतों को खेती के बराबर समझा गया क्या ?तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ. औरतों का अपना वजूद नहीं है क्या ?<br />कुरआन में माँ के लिए इज्जत है और पत्नी के लिए अपमान ?<br />जरा स्पष्ट करें .( आप को गुस्सा आता है आप मुझे गाली भी दे सकते हैं.अल्लाह का मुझ पर बड़ा रहम है मुझे बुरा नहीं लगेगा.)सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-40287029807700077002010-03-07T23:35:23.038+05:302010-03-07T23:35:23.038+05:30Indian - यह गलत जानकारी पीस टी.वी. से मिलि नहीं हो...Indian - यह गलत जानकारी पीस टी.वी. से मिलि नहीं हो सकती, मैं कभी टी. वी. नहीं देखता, मेरे जानकारों तक में टी.वी नहीं है, वह ऐसी बात नहीं कह सकते, थोडा भी मुझे उनके कहना का विश्वास होता तो अपने धर्मगुरू अनवर जमाल vedquran.blogspot.com के गुरू श्री सैयद अब्दुल्लाह तारिक से मालूम कर लेता, वह पीस टीवी से जुडे हैं,<br />कुरआन अल्लाह की किताब है, महम्मद उनके सन्देष्टा हैं, अल्लाह का कहा फाइनल है, मुहम्मद सल्ल. के कथन और कुरआन में जब कभी विरोध नजर आये तो कुरआन फाइनल होता है, क्यूंकि कुरआन में कभी रद्दोबदल नहीं की जासकती, यह अल्लाह का ही चैलेंज है, यहां तो खेर कैसा भी विरोध नहीं, <br />मुहम्मद सल्ल. कहते हैं-- माँ के पैरों के नीचे है और बाप जन्नत का दरवाजा है<br />कुरआन में जो मिसाल ला रहे हो वह महिला होने के साथ-साथ पत्नि बारे में है, <br /><br />Quran:<br />और वे तुमसे मासिक-धर्म के विषय में पूछते है। कहो, "वह एक तकलीफ़ और गन्दगी की चीज़ है। अतः मासिक-धर्म के दिनों में स्त्रियों से अलग रहो और उनके पास न जाओ, जबतक कि वे पाक-साफ़ न हो जाएँ। फिर जब वे भली-भाँति पाक-साफ़ हो जाए, तो जिस प्रकार अल्लाह ने तुम्हें बताया है, उनके पास आओ। निस्संदेह अल्लाह बहुत तौबा करनेवालों को पसन्द करता है और वह उन्हें पसन्द करता है जो स्वच्छता को पसन्द करते है॥222॥<br />तुम्हारी स्त्रियों तुम्हारी खेती है। अतः जिस प्रकार चाहो तुम अपनी खेती में आओ और अपने लिए आगे भेजो; और अल्लाह से डरते रहो; भली-भाँति जान ले कि तुम्हें उससे मिलना है; और ईमान लानेवालों को शुभ-सूचना दे दो॥223॥<br />----<br /><br />गुस्सा मुझे आता है, जिसके लिये में अल्लाह से माफी का तलबगार हूं, मुहम्मद साहब गुरूओं के गुरू हैं लेकिन मुझ जैसे नासमझ को रहनुमाई की आवश्यकता होती है, श्री अनवर जमाल साहब सर्वधर्म ज्ञान रखते हैं, उस्ताद के अर्थों में उन्हें मेरा 'गुरू' समझेंMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-71669991235592456412010-03-07T20:32:44.989+05:302010-03-07T20:32:44.989+05:30मेरी गलती सुधारने के लिए धन्यवाद .कुरआन में यह कह...मेरी गलती सुधारने के लिए धन्यवाद .कुरआन में यह कहीं नहीं कहा गया कि ," जन्नत माँ के पैरों के नीचे है." मेरी जानकारी पीस टी.वी. पर आधारित थी.लेकिन मुहम्मद सल्ल. की हदीस क्या कुरआन से अलग है ? मेरा तात्पर्य ," माँ ( महिलाएं ) के पैरों के नीचे जन्नत है तो फिर , औरतें ( महिलाएं ) तुम्हारी खेती हैं.(सूरा 2 / आयत 223 ) इस विरोधाभास से था.<br />मानवता से माफ़ी इसीलिए मांगी क्येंकि मेरे दिल में कुरआन और मुहम्मद सल्ल.के लिए आदर है.( और ये दोनों सारी मानवता पर उपकार के लिए ही हैं.)<br />उमर भाई आप स्वीकार चुके हो कि आप को क्रोध आता है."मेरे गुरू के दर्शन कर लो" यह लिखने का क्या मतलब है?आप बातें कुरआन और मुहम्मद सल्ल. की कर रहे हो और गुस्से पर कंट्रोल नहीं है.कुरआन से बड़ा भी कोई गुरु है आपका ?"La ilaha illa Allah" यह जानने के बाद भी आपका कोई गुरु है?<br /> फिलहाल इन दो विपरीत बातों का क्या मतलब है? "माँ ( महिलाएं ) के पैरों के नीचे जन्नत है, औरतें ( महिलाएं ) तुम्हारी खेती हैं." यह विरोधाभास नहीं तो क्या है ?<br />जो लिंक आपने दिया वोह रोचक और ध्यान देने योग्य है.सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-43516614844762335972010-03-07T01:41:46.211+05:302010-03-07T01:41:46.211+05:30Indian - आप दो अलग बातों को एक कर रहे हैं, मेरी जा...Indian - आप दो अलग बातों को एक कर रहे हैं, मेरी जानकारी के अनुसार कुरआन में यह कहीं नहीं कहा गया कि ," जन्नत माँ के पैरों के नीचे है." अगर है तो सूरत नम्बर बतायें, <br />यह मुहम्मद सल्ल. की हदीस है जो पूरी यूं है कि माँ के पैरों के नीचे जन्नत है तो बाप जन्नत का दरवाजा है, ,,यह वैसी शिक्षा नहीं कि कहें माँ की वन्दना करो बाप की कोई चिन्ता नहीं<br /><br />अब आपको इस सूरत का नम्बर बताना है<br /><br />सारी मानवता से माफ़ी मांगने की आपको कतई जरूरत नहीं, ऐसे कुरआन और मुहम्मद का आदर करते हुऐ निसंकोच सवाल करते रहें, मेरी तरफ से जवाब में देरी हो तो मेरे उस्ताद के ब्लाग पर जाइयेगा, मेरे गुरू के दर्शन कर लो उनकी नयी पोस्ट है<br /><br />श्री श्री रविशंकर जी और महापुरूषों का अपमान करने वाले दंभी आर्य आख़िर चाहते क्या हैं ? The black fire flag <br /><br />http://vedquran.blogspot.com/2010/03/black-fire-flag.htmlMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-69782546964521806222010-03-06T13:31:20.291+05:302010-03-06T13:31:20.291+05:30आप कहते हैं कि," कुरआन की सूरत आपको चैलेंज कर...आप कहते हैं कि," कुरआन की सूरत आपको चैलेंज करती है कि कुरआन में विरोधाभास ढूंड कर दिखादो. यह बात अपने आप में ही पूरी तरह गलत है.अगर किसी धार्मिक किताब (भगवान के उपदेश ) में कोई विरोधाभास निकालता है तो वोह किताब का विरोधाभास नहीं बल्कि उस किताब को समझने में उसकी समझ का विरोधाभास होगा. फिर भी अपनी समझ के अनुसार मेरा एक प्रयास है ( सारी मानवता से माफ़ी के साथ , क्येंकि किसी आसमानी किताब में विरोधाभास निकालना अधार्मिक लोगों का काम है,और मै धार्मिक हूँ . ) <br /><br />कुरआन ए शरीफ के अनुसार ," जन्नत माँ के पैरों के नीचे है." यह सारी मानव सभ्यता की सबसे खुबसूरत बातों में से एक है. फिर दूसरी ओर कुरआन ए शरीफ में :- सूरा 2 / आयत 223 मै लिखा है कि औरतें खेती हैं. यह विरोधाभास नहीं तो क्या है ? एक ओर तो औरत का दर्जा इतना ऊँचा , फिर दूसरी ओर बिलकुल ही विरोधाभासी बात.सच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-18376103821632250752010-03-06T04:10:47.414+05:302010-03-06T04:10:47.414+05:30Indian- मोहतरमा, अल्लाह वाकई सबका है, कुरआन में ...Indian- मोहतरमा, अल्लाह वाकई सबका है, कुरआन में भी यह नहीं कहा गया कि वह मुसलमानों का है, ऐसा मैंने अपने गुरू से सुना है कुरआन भी मुसलमानों का नहीं सारी मानवजाति का है, इससे उलट मैंने मुसलमानों को कहीं लिख दिया हो तो बतायें, यह अहंकार नहीं है, चैलेंज बारे में आपके विचार बदल जायेंगे जब आप पढेंगे ''अल्लाह का चैलेंज सारी मानव जाति को'' पढिये साफ तौर से चैलेंज मिलेगा, जो कहते हैं यह मानव ने तैयार किया है या यह अन्तिम ग्रंथ नहीं है, उन्हें अल्लाह ने चैलेंज किया है, मुहम्मद सल्ल. को वाकई मैं इतनी गहराई से नहीं जान पाया, अल्लाह माफ करे,, अपने क्रोध बारे मैं मैंने कुछ बुजुर्गो से पूछा ऐसा क्यूं है तो उनका कहना था नाम का भी कुछ असर आता है, हजरत उमर रजि. सख्त रहनुमा हुये हैं, रही बात मेरी उमर की तो 35 साल हैMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-60800633267751712312010-03-05T20:43:09.664+05:302010-03-05T20:43:09.664+05:30भाईजान यह 'अल्लाह के चैलेंज' हैं, कि आपक...भाईजान यह 'अल्लाह के चैलेंज' हैं, कि आपके ? आप (मजबूर होकर लिखना पड़ रहा है कि आप लोग ) क्यों 'अल्लाह को सिर्फ मुस्लिम लोगों का बताते हो. अल्लाह (ईश्वर,भगवान परमपिता ) सारी दुनिया के इंसानों का है. सिर्फ मुस्लिम का नहीं. चैलेंज सिर्फ अहंकारी लोग ही करते हैं. और 'अल्लाह तो सारी अच्छाइयों का समुन्द्र है. अहंकार तो किसी पैगम्बर ने भी कभी नहीं किया .क्यूंकि जिसमे अहंकार है वोह पैगम्बर नहीं.आप का यह लिखना कि ,"लेखकों कुरआन पर लिख कर देखो, कुछ ऐसी बात प्रस्तुत करो कि करोडों मुसलमान हिल जायें".इससे आपका अहंकार ही दिखता है.आप पैगम्बर के काम को आगे बढ़ा रहे हैं मुहम्मद साहब को पैगम्बरी लगभग 40 साल कि आयु में मिली थी आप शायद 30 साल के आस पास हैं. मुहम्मद शब्द मैंने पहले ही बताया था कि जो ठीक से जान ले वोह कभी सारी जिन्दगी में क्रोध नहीं करेगा .<br /><br />भाईजान इतना तो तय है कि यह 'अल्लाह के चैलेंज' नहीं बल्कि आप के चैलेंज हैंसच की आवाजhttps://www.blogger.com/profile/01417795257540058896noreply@blogger.com