tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post7582249973061128868..comments2023-04-14T20:14:39.527+05:30Comments on इस्लाम इन हिन्दी: दिल्ली से उपलब्ध इस्लामी किताबें hindi-islamic-books-available-delhiMohammed Umar Kairanvihttp://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-80955180551603282452012-02-15T10:44:43.237+05:302012-02-15T10:44:43.237+05:30Assalam Alaikum.
Plz Add this book into your webs...Assalam Alaikum.<br /><br />Plz Add this book into your website<br />Mukhtasar Sahi Bukhari Hindi Language<br /><br />http://adf.ly/111854/banner/http://www.momeen.blogspot.in/2012/01/mukhtasar-sahi-bukhari-in-hindi.htmlaamirhttps://www.blogger.com/profile/06773679918215811700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-66004304642472217192010-12-08T13:17:27.181+05:302010-12-08T13:17:27.181+05:30आपने जो दूसरा नम्बर दिया है कुरआन की 9 सूरत आयत 5...आपने जो दूसरा नम्बर दिया है कुरआन की 9 सूरत आयत 5 वह यह है, थोडा आगे पीछे से पढो,विश्वास न हो तो देखें www.quranhindi.com या 72 भाषाओं के साथ इंग्लिश वेबसाइट www.islamhouse.com <br /><br />quran:<br />सार्वजनिक उद्धोषणा है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से, बड़े हज के दिन लोगों के लिए, कि "अल्लाह मुशरिकों के प्रति जिम्मेदार से बरी है और उसका रसूल भी। अब यदि तुम तौबा कर लो, तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है, किन्तु यदि तुम मुह मोड़ते हो, तो जान लो कि तुम अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते।" और इनकार करनेवालों के लिए एक दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो॥9:3॥<br /><br />सिवाय उन मुशरिकों के जिनसे तुमने संधि-समझौते किए, फिर उन्होंने तुम्हारे साथ अपने वचन को पूर्ण करने में कोई कमी नही की और न तुम्हारे विरुद्ध किसी की सहायता ही की, तो उनके साथ उनकी संधि को उन लोगों के निर्धारित समय तक पूरा करो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है॥9:4॥<br /><br />फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है॥9:5॥<br /><br />और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो तुम उसे शरण दे दो, यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुन ले। फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं, जिन्हें ज्ञान नहीं॥9:6॥<br /><br />इन मुशरिकों को किसी संधि की कोई ज़िम्मेदारी अल्लाह और उसके रसूल पर कैसे बाक़ी रह सकती है? - उन लोगों का मामला इससे अलग है, जिनसे तुमने मस्जिदे हराम (काबा) के पास संधि की थी, तो जब तक वे तुम्हारे साथ सीधे रहें, तब तक तुम भी उनके साथ सीधे रहो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है। -॥9:7॥khalid khanhttps://www.blogger.com/profile/06580676751015334932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-56113095813267396462010-12-08T13:13:57.015+05:302010-12-08T13:13:57.015+05:30@विनेक दुबे जी, इधर आपका कमेंटस देखा सोचा मैं ही क...@विनेक दुबे जी, इधर आपका कमेंटस देखा सोचा मैं ही कुछ जवाब देलूं, आगे अल्लाह की मर्जी, आपने 8सूरत की 70वीं आयत जो दी है वह यह है उस पर आपका क्या एतराज है, विश्वास न हो तो देखें www.quranhindi.com या 72 भाषाओं के साथ इंग्लिश वेबसाइट www.islamhouse.com<br /><br /><br />quran:<br />किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि उसके पास क़ैदी हो यहाँ तक की वह धरती में रक्तपात करे। तुम लोग संसार की सामग्री चाहते हो, जबकि अल्लाह आख़िरत चाहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्त्वदर्शी है॥8:67॥<br /><br />यदि अल्लाह का लिखा पहले से मौजूद न होता, तो जो कुछ नीति तुमने अपनाई है उसपर तुम्हें कोई बड़ी यातना आ लेती॥8:68॥<br /><br />अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चिय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है॥8:69॥<br /><br />ऐ नबी! जो क़ैदी तुम्हारे क़ब्जें में है, उनसे कह दो, "यदि अल्लाह ने यह जान लिया कि तुम्हारे दिलों में कुछ भलाई है तो वह तुम्हें उससे कहीं उत्तम प्रदान करेगा, जो तुम से छिन गया है और तुम्हें क्षमा कर देगा। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।"॥8:70॥khalid khanhttps://www.blogger.com/profile/06580676751015334932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-61441061125426847372010-12-08T12:29:19.274+05:302010-12-08T12:29:19.274+05:30तो फिर कुरान की यह आयते क्या हैं ?
3 -गैर मुसलमान...तो फिर कुरान की यह आयते क्या हैं ? <br />3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .<br /><br />‘मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5<br /><br />5 -लूट का माल हलाल समझ कर खाओ .<br /><br />“तुम्हें जो भी लूट में माले -गनीमत मिले उसे हलाल समझ कर खाओ ,और अपने परिवार को खिलाओ .सूरा अन फाल-8 :69<br /><br />और भी बहुत हैं अभी मुसलमानो को धोखे मे रखा जा रहा है बनावटी बातों से ।Astik Vinekhttps://www.blogger.com/profile/10420630277974323885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-62675320458101300132009-09-02T15:50:44.193+05:302009-09-02T15:50:44.193+05:30Shukriya.
( Treasurer-S. T. )Shukriya.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">( Treasurer-S. </a><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">T. )</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-49879710147866032702009-08-26T18:25:01.128+05:302009-08-26T18:25:01.128+05:30बहुत खूब भाई.......बहुत खूब भाई.......Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.com