tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post8519151370191687528..comments2023-04-14T20:14:39.527+05:30Comments on इस्लाम इन हिन्दी: ‘इस्लाम की विशेषताएं’ LaLa-ranjendra-LaL-saidMohammed Umar Kairanvihttp://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-83870139923874658842011-03-18T12:56:27.043+05:302011-03-18T12:56:27.043+05:30Akash- आपके स्वीकार करने से मुझे बेहद खुशी हुयी ह...Akash- आपके स्वीकार करने से मुझे बेहद खुशी हुयी है अगर इस बात के दो गवाह भी बना लें तो बेहतर है, इधर उधर के लेख से आपके लिए जवाब तैयार किया है, हो सके तो प्यार से पढिये मेरी महनत वसूल हो जाएगी<br /><br />पहले दूत आदम थे उसके बाद लाखों दुत बताये गये हैं, मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसलम इस सिलसिले के आखरी नबी थे, जिनको 23 साल में थोडी थोडी कुअरान याद कराके उतारी गयी, जो आज भी वैसी है, सारी दुनिया में एक जैसी है, <br /><br />जैसे जैसे मानव सभ्य और सुसंस्कार और बुद्धिमान होता गया वैसे वैसे वह उसको हिदायत करता रहा, जब वह समय आया कि मानव लिखना पढ़ना जानगया तब कुरआन 23 साल में मुहम्मद स. को याद कराया गया, अल्लाह ने यह नहीं किया कि कोई तैयार पुस्तक थमा दी। साथ-साथ दूसरे धर्म मित्र भी याद करते रहे। यह याद करने का सिलसिला आज भी जारी है। इसी सीने या मस्तिष्क में याद रखे जाने के सबब भी इसमें छोटा सा मात्राओं में विभिन्नता जैसा परिवर्तन भी ना होसका। थोडे समय पश्चात कागज का ईजाद हुआ उससे बहुत आसानी हुई, आज इन्टरनेट में लगभग सभी बडी भाषाओं में अनुवादित और फलेश में भी उपलब्ध है।<br /><br />आपको शायद यह खबर न होगी कि ईसाई ,यहूदी इसी कुरआन वाले अल्लाह के ही मजहब हैं जिन्हें इसी अल्लाह ने किताब दी थी जब जादू पर विश्वास करते थे तो मुसा अ. को जादूई लठ/छडी दी थी, फिर उसके बाद ईसा को जीवित करने की शक्ति देकर भेजा, जब मानव पूरी तरह विकसित हो गया तो फिर भेजा अन्तिम अवतार<br /><br />कुरआन ने अपनी असल हिदायत को पिछली हिदायतों और किताबों ही का एक नया संस्करण कहा है। तीन किताबों की किताबे इलाही-आसमानी किताब अर्थात उसके (अल्लाह) द्वारा भेजी गयी मानता है।<br />अल्लाह उन पुस्तकों के बारे में कहता हैः<br />अनुवादः- ‘‘अल्लाह ने तुम्हारे लिए वही दीन (धर्म) मुक़र्रर फर्माया है, जिसकी उसने नूह को हिदायत दी थी और जिसकी (हे मुहम्मद!) हमने तुम पर वहय की है और जिसकी हमने इब्राहीम को, मूसा को और ईसा को वसीयत की थी, यह कि इस दीन को क़ायम करों और इसके भीतर विभेद न पैदा करो‘‘ - शूराः15<br /><br />वह पुस्तक हैं तौरात, इन्जील और ज़बूर। तौरात (जीवस बुक)-मूसाMoses के नाम पर वजूद में आने वाला समुदाय ‘यहूदी’ है जिसने आजकल फिलिस्तीन के हिस्से पर कब्ज़ा करके इसराईल देश बसाया है जिसके बारे में अनेक कारणों से खुदा का कहना है कि यहूदी को कभी शांति नसीब नहीं होने देगा। इन्जील(बाइबल)-ईसा मसीह or यीशु मसीह la:Iesus Christus के ज़रिये ज़ाहिर होने वाला समुदाय ‘ईसाई‘ है। ‘जबूर-दाऊदDavid’ कोई स्थाई पुस्तक नहीं इसकी हैसियत बस तौरात के परिशिष्ट जैसी है। इसे यहूदी और ईसाई दोनों ही मानते हैं।<br /><br />14 भाषाओं में छप चुकी यह किताब लगभग पांच लाख भाई बहनों को इस्लाम को समझने में मदद कर चुकी, आपके लिए तोहफा है, हो अगर कुबूल <br /><br />पुस्तकः आपकी अमानत (आपकी सेवा में) -----मौलाना मुहम्मद क़लीम सिद्दीक़ी Bsc.<br />http://islaminhindi.blogspot.com/2009/03/armughandotin.htmlविश्व गौरवhttps://www.blogger.com/profile/16394401203977249790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-79604063722560257872011-03-18T12:28:00.642+05:302011-03-18T12:28:00.642+05:30"स्वीकार करता हूँ कि ईश्वर के अतिरिक्त कोई पू..."स्वीकार करता हूँ कि ईश्वर के अतिरिक्त कोई पूज्य और उपास्य नहीं और मुहम्मद ईश्वर के दास और उसके दूत हैं।"<br /><br />kya मुहम्मद saab Eswar ke eklaute doot hain, ki naa unke pahle koi doot aay tha naa uske baad koi aayega.................<br />Zara saaf karege !!!!Akashhttps://www.blogger.com/profile/12568622257765719585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-35538429389555266702010-01-09T19:41:42.543+05:302010-01-09T19:41:42.543+05:30to,
शबनम bahan
"mujh jaiso ko aap jaise logo...to,<br />शबनम bahan <br />"mujh jaiso ko aap jaise logo ki vjeh se n jaane kya kya sunna padta ha"<br />agar aap jeise logo ko iis dharam ke liye dikkat uthani padti hei to<br />aap ko "Iisha Masih" ka Welcome<br />yaha aap ko koi dikkat na hogi<br />na piine me<br />na khaane me<br />na pahenne me<br />sa........bb tarah ki khulli chhhut hei.<br />you most welcomeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-27694599631291692052010-01-09T15:29:13.806+05:302010-01-09T15:29:13.806+05:30बढ़िया जानकारी के लिए शुक्रिया !बढ़िया जानकारी के लिए शुक्रिया !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-67730519066100708942009-12-30T20:45:00.415+05:302009-12-30T20:45:00.415+05:30hmmm...to kafi study kia ha aapne Islam ko...bohot...hmmm...to kafi study kia ha aapne Islam ko...bohot khoob...<br />padna adhyayan karna bohot acchi baat ha...<br />samajh nhi aa raha ki is kaam k liye blog ki kya zaroorat thi....?<br />blog ka bas yahi use reh gaya ha kya...?bura mat maniye par dekhiye..dharmik baate to hme ghr me bachpan se hi sikhayi jati ha...jitni sikhni ho utni sikh sakte ha...aur u knw wht dharmik guruo ki bhi kami nhi ha...specially india me...to apko ye zehmat uthane ki itni zaroorat bhi nhi thi...par aapki marzi.......<br />aur ha...agar likhna tha to keval Islam me kahi gyi baate likhte sidhe sidhe kyu aap uski tulna kar rahe ha anya dharmo k sath...jaise...<br />हिन्दू धर्म के ईश्वर-कृत वेदों का एकेश्वरवाद कालान्तर से बहुदेववाद में खोया तो नहीं तथापि बहुदेववाद और अवतारवाद के बाद ईश्वर को मुख्य से गौण बना दिया गया है। इसी प्रकार ईसाइयों की त्रिमूर्ति अर्थात ईश्वर, पुत्र और आत्मा की कल्पना ने हिन्दुओं के अवतारवाद के समान ईसाई धर्म में भी ईश्वर मुख्य न रहकर गौण हो गयां इसके विपरीत इस्लाम के एकेश्वरवाद में न किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ और न विकार उत्पन्न हुआ। इसकी नींव इतनी सुदृढ़ है कि इसमें मिश्रण का प्रवेश असंभव है। ....<br />इस्लाम में सिदधंततः ताड़ी, भंग आदि सभी मादक वस्तुएँ निषिद्ध है। जबकि हिन्दू धर्म में इसकी मनाही भी है और नहीं भी है। विष्णु के उपासक मदिरा को वर्जित मानते हैं और काली के उपासक धार्मिक, शिव जैसे देवता को भंग-धतुरा का सेवनकर्ता बताया जाता है तथा शैव भी भंग, गाँजा आद का सेवन करते हैं।...<br /> इस्लाम में हर प्रकार का जुआ निषिद्ध है जबकि हिन्दू धर्म में दीपावली में जुआ खेलना धार्मिक कार्य है। ईसाई। धर्म में भी जुआ पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।....<br />ye sab kya hai.....???kya sabit krne ki koshish kar rahe h aap?<br />vaise hi apne desh me dharm ko leke choti choti baato ka issue bana dia jata ha...aur aap jaise logo k ye kaam.....<br />mujh jaiso ko aap jaise logo ki vjeh se n jaane kya kya sunna padta ha....par aapko kya...krte rahiye prachar Islam...aur badhate rahiye kadvahat...<br />apni is choti c zindgi par rehem kariye janab.....aur hm par bhi...plz...शबनम खानhttps://www.blogger.com/profile/13527939392236056369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-7292130683724989252009-12-30T17:36:46.952+05:302009-12-30T17:36:46.952+05:30जो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक बालिश्त भूमि भी अनधि...जो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक बालिश्त भूमि भी अनधिकार रूप से लेगा वह क़ियामत के दिन सात तह तक पृथ्वी में धॅसा दिया जाएगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-12174672067112405962009-12-30T17:35:56.704+05:302009-12-30T17:35:56.704+05:30bekar ki baten,,aak aisi baton ki koi value nahinbekar ki baten,,aak aisi baton ki koi value nahinmukhttps://www.blogger.com/profile/09951182064965102575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-58786588656295403642009-12-30T17:34:13.278+05:302009-12-30T17:34:13.278+05:30niceniceiqbalhttps://www.blogger.com/profile/11223010201918835943noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-71841225642794379652009-12-30T17:33:28.923+05:302009-12-30T17:33:28.923+05:30intrestingintrestingAnita Chhabrahttps://www.blogger.com/profile/11697902043701010911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-50248898395166472112009-12-30T17:32:52.007+05:302009-12-30T17:32:52.007+05:30ज़कात अर्थात अनिवार्य दान । यह श्रेय केवल इस्लाम क...ज़कात अर्थात अनिवार्य दान । यह श्रेय केवल इस्लाम को प्राप्त है कि उसके पाँच आधारभूत कृत्यों-नमाज़ (उपासना) , रोज़ा (ब्रत) हज (काबा की तीर्थ की यात्रा), में एक मुख्य कृत्य ज़कात भी है। इस दान को प्राप्त करने के पात्रों में निर्धन भी हैंवन्दे ईश्वरम vande ishwaramhttps://www.blogger.com/profile/17959400350558371813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-15474098325658881382009-12-30T17:28:48.813+05:302009-12-30T17:28:48.813+05:30स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने न...स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने निर्दोष स्त्रियों पर दोषारोपण को वैधानिक अपराध ठहराया।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3034668137322934401.post-3705345940083747992009-12-30T17:16:30.999+05:302009-12-30T17:16:30.999+05:30सूद (ब्याज) एक ऐसा व्यवहार है जो धनवानों को और धनव...सूद (ब्याज) एक ऐसा व्यवहार है जो धनवानों को और धनवान तथा धनहीनों को और धनहीन बना देता है। समाज को इस पतन से सुरक्षित रखने के लिए किसी धर्म ने सूद पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई है। इस्लाम ही ऐसा धर्म है जिसने सूद को अति वर्जित ठहराया है। सूद को निषिद्ध घोषित करते हुए क़ुरआन में बाकी सूद को छोड देने की आज्ञा दी गई है और न छोडने पर ईश्वर और उसके संदेष्टा से युद्ध् की धमकी दी गई है। (कुरआन 2 : 279)Anonymousnoreply@blogger.com