इस्लाम इन हिन्दी: सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

सनातन धर्म के अध्‍ययन हेतु वेद-- कुरआन पर अ‍ाधारित famous-book-ab-bhi-na-jage-to

जिस पुस्‍तक ने उर्दू जगत में तहलका मचा दिया और लाखों भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्‍दू भाईयों एवं सनातन धर्म के प्रति अपने द़ष्टिकोण को बदलने पर मजूर कर दिया था उसका यह हिन्‍दी रूपान्‍तर है, महान सन्‍त एवं विद्वान मौलाना आचार्य शम्‍स नवेद उस्‍मानी के ध‍ार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन पर आधारति पुस्‍तक के लेखक हैं, धार्मिक तुलनात्‍मक अध्‍ययन के जाने माने लेखक और स्वर्गीय सन्‍त के प्रिय शिष्‍य एस. अब्‍दुल्लाह तारिक, स्वर्गीय मौलाना ही के एक योग्‍य शिष्‍य जावेद अन्‍जुम (प्रवक्‍ता अर्थ शास्त्र) के हाथों पुस्तक के अनुवाद द्वारा यह संभव हो सका है कि अनुवाद में मूल पुस्‍तक के असल भाव का प्रतिबिम्‍ब उतर आए इस्लाम की ज्‍योति में मूल सनातन धर्म के भीतर झांकाने का सार्थक प्रयास हिन्‍दी प्रेमियों के लिए प्रस्‍तुत है,

Size: 88,277 KB best quality





-

अनुक्रम
(विषय सूची)

समर्पन
अपनी धुन में मगन एक मुसाफिर
प्रस्तुति से पूर्व
दो शब्द

अध्याय1 इन्किलाब की भविष्यवाणीः
काबे का अपमान, निरन्तर अजाब ;दिव्य प्रकोपद्ध
क्या वव्यापक स्तरीय यातना अभी शेष है, कौम के परिवर्तन की चेतावनी
क्या हम अल्लाह की सूची में मोमिन (आस्तिक) हैं?
वह कौन सी कौम हो सकती है?

अ.2 हिन्दू कौम का नबी (ईशदूतद्):
कृष्णा मेनन, आश्चर्यकी मुद्रा में
ह. नूह अलै. की उम्मत (पन्थ) का भी खोया हुआ है
‘हन्दू‘ ह. नूह अलै. की कौम हैं
कुरआन की गवाही

अ. 3 कुरआन में हिन्दू कौम का जिक्र (उल्लेख)
कुरआन पर आरोप
कुरआन में सब कौमों के नामें पर शोध कार्य नहीं हुआ
ह. नूह अलै. की कौम ही साबिईन हैं।

अ.4 समता और आदिकालीन सम्बन्धः
धार्मिक प्रवृतियों एवं सम्बन्धों का निरीक्षण आवश्यक है।
आश्चर्यजनक समानता
हिन्दूओं और मुसलमानों के समान जीवन-मूल्य
सम्बन्ध अनादिकाल से होते हैं
ह. आदम अलै. हिन्दुस्तान में
ह. नूह अलै. हिन्दुस्तान में
कुछ अन्य ईशदूत, हिन्दुस्तान में
अरब व हिन्द भौगोलिक दृष्टि से कभी एक थे
धूल की पर्तों पर नई पालिश नहीं चढेगी

अ. 5 सर्वप्रथम दिव्य ग्रन्थ-वेद
वेद का परिचय, पवित्र कैसे मानें?
अभी और परखिये, अन्तिम गवीही शेष है।
अव्वलीन सहाइफ के नाम ढूंडिये
आदि-ग्रन्थ मौजूद हैं
वेद ही आदि-ग्रन्थ हैं।

अ.6 सृष्टि रचना का आरम्भ-हजरत अहमद सल्ल.
हकीकतें अहमदी (अहमदी तत्व)
अहमदी तत्व प्रत्येक पवित्र ग्रन्थ में है।
तर्क संगत प्रमाण
विज्ञान मार्गदर्शन पर आश्रित है।
सरवरे कायनात (जगतगुरू) सल्ल. ही सृष्टि का आरम्भ हैं।
कुरआन से भी प्रमाणित है।

अ. 7 वेदों अग्नि-रहस्य

अ. 8 इस्लाम और हिन्दू धर्म-नामें की समानता
हिन्दू मत का इस्लामी नाम
अल्लाह का नाब सब धर्मों में है
रहमान और रहीम भी

अ.9 वैदिक धर्म में (तौहीद एक-ईश्वर-वाद)

अ. 10 वैदिक धर्म और रिसालत (ईशदूत-पद)
ईशदूतों के वृतांत
वेदों में ह. नूह अलै. का वृतांत

अ. 11 वैदिक धर्म और आखिरत (परलौकिक जीवनक)
पारलौकि शोधकर्ताओं की स्वीकृति
वेदों में जन्नत (स्वर्ग) का वृतांत
दोजख (नरक) का वर्णन
आवागमन की पृष्ठभूमि में एक और त्थ्य

अ. 12 वेदों की कुछ अन्य शिक्षाएं
जुए का निषेध
मद्य निषेध
ब्याज का निषिदध होना
विवाह संस्कारों में सरलता का आदेश
पुरूषों को स्त्रियों के वस्त्र पहनने से रोक
नारी के घरेलू जीवन का आदेश
नारी की लज्जा के आदेश

अ.13 हदीसें और पुराणः भविष्यवाणियों की समानता
हदीस
हरिवंश पुराण और विष्णु पराण

अ. 14 वैदिक धर्म के काबे की हकीकत

अ.15 वेदों में ह. मुहम्मद सल्ल. का मकामे महमूद ;परमपदद्ध

अ.16 वैदिक धर्मं में काना दज्जाल (अन्धक आसुर)

अ. 17 यह रहस्य, रहस्य क्यों रहे?
हिन्दुओं में चली आ रही कुछ निगूढ बातें
मुसमानों की लापरवाही
अ.18 पूर्व ग्रन्थों में आस्था
यह गलतफहमी दूर कीजिए
दीन केवल इस्लाम है लेकिन
कोई भी पूर्व ग्रन्थ निरस्त नहीं किया गया है।
कुरआन से पूर्व के ग्रन्थों पर ईमान लाने का तात्पर्य
यह प्रतिकूलता क्यों प्रतीत हो रही है?
क्या हदीसों में भी परस्पर विरोध है?
यथार्थ पुष्ठ भूमि में देखिये

अ. 19 दावत (आहवान) की कार्यशैली
क्या हिन्दू अहले किताब (पूर्व ग्रन्थ वाले) हैं?
अहले किताब नहीं उम्मिययीन हैं।
आहवान की कार्यशैली-हदीसों की रौशनी में
कुरआन की ज्योति में
हिन्दू धर्म को उस की खोई हुई मौलिकता दीजिये।
ऐतिहासिक विडम्बनाएं
काश मुसलमान यह समझ लें कि।
कम से कम इतना तो कीजिये
अमरीकियों का उदाहरण
सारांश
हिन्दू धर्म-पंडित जानते हैं
युग परिवर्तित होने ही वाला है।
दलीलें खुदावन्दी ;ईश्वरीय प्रमाणद्ध
मुसलमानों का कर्तव्य

अ.20 उन्हें स्वयं भी तलाश है!
कसौटी केवल कुरआन
प्रस्तुति के बाद
संकेत चिहन


झलकी-1
कृष्णा मेनन, आश्चर्य की मुद्रा में
कहा जाता है कि कृष्णा मेनन आने लन्दन प्रवास के दिनों में एक दिन अपनी मित्र मंडली में बैठे हुऐ थे कि अचानक एक दोस्त ने उन्हों संबोधित करते हुए कहाः
‘‘यह सामने बैठा हुआ तुम्हारा मित्र ‘यहूदी‘ है। इस का कहना है कि इस के पास ईश्वर का एक ग्रन्थ है जिस का नाम ‘तौरेत‘ है और यह ईश्वरीय ज्ञान का ग्रंथ ह. मूसा अलै. के माध्यम से दिया गया था।‘‘
‘‘मैं यह बात जानता हूं!‘‘ कृष्णा मेनन ने जवाब दिया। अब उसी मित्र ने एक दूसरे ईसाई मित्र की ओर संकेत करते हुए कहा-- ‘‘यह व्यक्ति ‘ईसाई‘ है और इस का कहना है कि इस के पास भी ईश्वर की एक किताब है जिसका नाम ‘इन्जील‘ है और यह दिव्य ज्ञान की भेंट ईश्वर ने महात्मा ईसा मसीह के द्वारा प्रदान की थी।‘‘
‘‘मैं यह भी जानता हूं!‘‘ कृष्णा मेनन ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा- मानो इन विश्व्यापी तथ्यों को दोहराने पर उन्हें आश्चर्य हो रहा हो लेकिन बोलने वाला पूरी गम्भीरत से बोल रहा था। उसने तीसरा विषय छेडते हुए, और एक मुसलमान दोस्त की ओर इशारा करते हुए कहाः
‘‘यह हमारा मुसलमान दोस्त है और इस का कहना है कि इस के पास भी ईश्वर का एक ग्रन्थ है- ‘कुरआन‘, और ईश्वर ने यह ज्ञान जिस सत्पुरूष के माध्यम से दिया, उस का नाम ह. मुहम्मद सल्ल. है।‘‘
‘‘अरे भाई, मैं यह भी जानता हूं ‘‘कृष्णा मेनन ने आश्चर्यचकित होकर जवाब दिया।
‘‘निस्सन्देह! वही मित्र बोला- ‘‘ हम और तुम यह बातें खूब जानते हैं, लेकिन मित्र! हम में से कोइ्र यह नहीं जानता कि ‘वेद‘ जिस का तुम ठीक उसी तरह ईश्वर का सबसे पहला, सबसे प्राचीन, सबसे श्रेष्ठ ज्ञान और वाणी मानते हो, उसे आदि-ग्रन्थ कहते हो उसको ईश्वर से ग्रहण करने तथा जनसाधारण तक पहुंचाने वाला सर्वप्रथम मानव-माध्यम आखिर कौन था?
कहा जाता है कि पूरी सभा की ओर से इस बार प्रश्नवाचक मुस्कुराहट और आश्चर्य के सामने पहली बार कृष्णा मेनन सिर से पांव तक प्रश्न चिहन बन गन गए। एक ऐसे जिन्तन के सन्नाटे में गुम हो गए जसे पहली बार उन्हें यह एक ठोस सवाल महसूस हुआ हो। मानो पहली बार उन्हें अपने वैदिक विद्वानों के वर्तमान शास्त्रीय दृष्टिकोण में एक वास्तविक अन्तराल की अनुभूति हुई हो। तोरैत, इन्जील और कुरआन के ईश्वर से मानव तक पहुचने के माध्यम तो मालूम हैं, लेकिन यदि वेद देववाणी है तो इसे लाने वाला ईशदूत कौन था? यह घटना चाहे सच्ची हो या मात्र एक कहानी, इसमें शक नहीं है कि यह स्वाभाविक प्रश्न वैदिक धर्म के प्रत्येक अनुयायी के सीने में हजारों वर्षों से अन्दर ही अन्दर निरन्तर खटक रहा होगा।


झलकियां2









other books:
antimawtar.blogspot.com
pdf book link
online reading this book (www.scribd.com)



Share/Bookmark

14 comments:

Anonymous said...

ved & quran topic par heran kar dene wali jankairyan. excilent वेद और कुरान की तालीम अच्‍छे तरीके से समझाई गई है, बहुत खुश किया आपने your great work

vivek said...

Ved kisi ek manav ko nahi par anek rishiyo ko prapt hue the jinka samay lakho varsh raha isiliye hindu dharam ka koi ek pravartak nahi hai balki anek sadhu rishi aur mahrishi ke anubhavo ka nichor hai isliye hi hindu log harek dharam ka aadar karte hai aur kisi se ye nahi kahte ki mera mat hi sahi hai aur hum hi iswar ke hai aur baki shaitan ke jai hindu dharam

Anonymous said...

@vivek - tumne badhiya jawab diya saale ko, parantu scribd par bhi de dalo wahan is kitab ko lagbhag 400 hamare bhai padh chuke..virodh parkat wahan bhi karo.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ज्ञानवर्धक जानकारी!

virendra sharma said...

शुक्रिया ,भाई जान जानकारी के लिए ,हमारा शब्द और ज्ञान कोष दोनों बढे .

कविता रावत said...

bahut badiya gyanvardhak jaankari prastuti ke liye dhanyavaad!

ASHOK KUMAR VERMA 'BINDU' said...

अच्छी जानकारी!

monu said...

ati uttam gyanverdhak tarkik jankari ke liye dhanaywad

रविकर said...

bahut sahi-
shubhkamnayen bhaai ji-

Shashank Pandey said...

kis tarah se aadharit hai ??

kapil said...
This comment has been removed by a blog administrator.
कविता रावत said...

ज्ञानवर्धक जानकारी.....

Unknown said...

Satyug se mahabharat kal take Muslim varg kahan tha.

Unknown said...

Islam jo ki koi dharm hi nhi. kuran padhne ke baad samaj mai aa gaya.or ye dharm itna bada kaise hua ye bhi samaj mai aa gaya.