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असलामुअलैकुम, जनाब मेरे जेहन में कुछ सवाल उठे हैं ? आप से दरख्वास्त है कि मेरे सवालों पर गौर करें और जवाब में फतवा जारी करें, अल्लाह हम सब पर रहम करे और सीधा रास्ता दिखाए।
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- नही
मुख़्तसर सही बुखारी (3 Vol. Set) (Hindi/Arabi)(HB)
सवाल 2. क्या चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का नमाज से कोई ताल्लुक है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- नही
सवाल 3. क्या चाँद, चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद, चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का मस्जिदों से कोई ताल्लुक है? और क्या इस निशान से दुआऐं में कुछ असर बढता है या घटता है?
मज़ाहिरउलूम के मूफतियों का जवाब- नही
फ़ज़ाइले आमाल Vol-1 (Hindi)
सवाल 4. क्या हज़रत मुहम्मद सल्ल. का चाँद , चाँद के साथ तारा, अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान के इस्तेमाल से कोई ताल्लुक है? और क्या अल्लाह के नबी ने इन निशनों को कभी खास अहमियत दी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
फ़ज़ाइले आमाल Vol-2 - Fazail-E-Sadaqat and Hajj (HINDI)
सवाल 5. क्या किसी ख़लिफा या ईमाम ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान का इस्तेमाल किया ? और क्या कभी इन निशानों को खास तरजीह दी ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
- This Book is the Hindi Version of the famous book "Plants of the Qur'an" which provides unique information as it deals with different scientific aspects of plants and plant products that have been mentioned in the Noble Qur'an. It contains descriptions of Qur'anic plants in the light of the existing scientific knowledge of botany, chemistry, medicinal properties and uses.
सवाल 6. क्या हजुरेपाक सल्ल. ,या किसी खलीफा के ज़माने में उनके झण्डे पर चाँद , चाँद के साथ
तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज का निशान हुआ करता था ? क्या नबी की मुहर पर चाँद तारा बना था?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा भी हमारी नज़र से कहीं नही गुज़रा।
कुरआन से इलाज(Hindi/Arabi)(PB)
सवाल 7. क्या चांद, चांद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए अल्लाह ने कुरआन में कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो किस सूराः की किस आयत में जिक्र है। और कोई हुक्म नही है तो हमारा इन्हे खास मानना किस तरह का गुनाह है और क्या बिना सनद के किसी को खास मानने से अल्लाह नाराज नही होगा ? क्या आगे चलकर हमारी मस्जिदें शिर्कगाहें नही बन जाऐंगी?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कुछ नही है।
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सवाल 8. क्या अल्लाह के रसूल ने चाँद , चाँद के साथ तारा,अण्डे के उपर चाँद , चाँद के साथ सूरज या सूरज के निशान को खास अहमियत देने के लिए कोई हुक्म जारी किया है? अगर किया है तो वो क्या है?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसा कोई हुक्म हमारे इल्म में नही है।
तफ़्सीर अह्सनुल बयान Tafseer Ahsanul Bayan in hindi
सवाल 9. आज हमारी मस्जिदों और घरों में मौजूद चटाइयों और मुसल्लों के उपर लाल नीले व अन्य रंगों में गुम्बद के उपर चाँद तारे (उज्जा, षुक्र ग्रह) के निशान बने हैं एक नमाजी के सामने 5 निशान बनें रहते है। जब नमाजी नमाज पढतें हैं तो निगाह सज्दे करने की जगह पर रखते हैं। और नमाजी नमाज के पूरे वक्त सामने बने चाँद तारा को एकटक देखता रहता है और जब रूकु में होता है तब भी निगाह चाँद तारे पर होती है और जब सज्दा करते हैं तो पेशानी ठीक चाँद तारे के निशान पर रखते हैं।क्या नमाज पढते वक्त चाँद तारे के निशान को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है या नाराज?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- चटाई और मुसल्लों पर इस किस्म की कोई चीज ना बनी हो ताकि मजकूरा अलामात में से किसी किस्म का इहाम(भ्रम) ही पैदा ना हो,चटाई या मुसल्ला बिल्कुल सादा बगैर किसी मजहबी या गैर मजहबी नक्शो निगार के होने को शरअन पसन्द किया गया है। ताकि नमाज़ी को जेहनी उलझन ही पैदा ना हो। नमाज पढते वक्त चाँद सितारे को देखते रहने से अल्लाह कुछ ज्यादा राजी होता है ऐसा तो कोई दीन से जाहिल ही समझता होगा।
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सवाल 10. क्या चाँद तारे के खास निशान पर पेशानी रखने पर सज्दा कबूल हो जाता है? और नमाज में कोई खलल नही पडता है?
(No Answer)
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मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- जब चांद सितारे के निशानात पर पेशानी रखने से उनकी इबादत या ताज़ीम (इज्ज़त देना) मकसूद ना हो , जैसा कि मसाजिद की जानमाजों पर सज्दा करते वक्त होता है । तो इस तरह सज्दा हो जाता है और नमाज में कोई खलल नही पडता और अगर चाँद सितारे या दूसरे मजाहिब की चीजों के खास निशानात पर पेशानी रखने से मकसूद बिज्जात (उन्हीं की इबादत) वो ही निशानात हों और उन्ही को माबूद समझकर सज्दा करें जैसा कि इन जिक्र की हुयी चीजों के पुजारियों का तरीका है,तो ऐसा करना बिला शुब्हा शिर्क होगा जो कतन हराम है और ममनू (मना है) है। मगर ध्यान रहे, कि इससे ये गलतफहमी न होनी चाहिए कि मज़कूरा (सवाल में जिक्र किए गए) आसमानी या गैर आसमानी चीजों के निशानात को बगैर सज्दे की नियत के सज्दा किया जा सकता है। या चाँद तारे वगैराह के निशान वाली चटाई होनी चाहिए।
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सवाल 12 हमारी मस्जिदों पर बने इन निशानों का क्या करें और अगर ये सब गुनाह और शिर्क है तो ऐसी चटाईयों का क्या करें क्या उनके साथ वही सलूक करें जो अल्लाह के रसूल ने काबे में रखे लगभग 360 बुतों के निशानों के साथ किया था ?
मज़ाहिरउलूम के मुफतियों का जवाब- ऐसी चटाईयों (जिन पर चाँद सितारे बने हुए हों) का जायज इस्तेमाल करें उनकी बिज्जात ताज़ीम ना की जाए इनके उपर पैर वगैराह रखने से ऐहतराज व इज्तीनाब न किया जाए । अलबत्ता इन चाँद सितारों वाली चटाइयों के साथ वो सलूक तो ना करें जो अल्लाह तआला के रसूल सल्ल. ने काबा में रखे 360 बुतों के साथ किया था .
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