इस्लाम इन हिन्दी: कुरआन का अनुवाद युनिकोड और भावार्थ pdf में उपलब्‍ध quran-in-unicode

कुरआन का अनुवाद युनिकोड और भावार्थ pdf में उपलब्‍ध quran-in-unicode

अल्‍लाह के नाम से जो अत्‍यन्‍त करूणमय और दयावान है ।---कुरआन मानव को सोच और चरित्र की ऐसी उँचाई पर देखना चाहता है जिससे उँचे किसी स्‍थान की हम कलप्‍ना भी नही कर सकते, क़ुरआन वह प्रकाश जिसकी उपस्थिति में किसी अंधकर और गुमराही का इमकान बाकी नहीं रहा, शर्त यह है कि इस प्रकाश से पूरा लाभ उठाने का प्रयत्‍न किया जाए।

''तुम में कुछ लोग ऐसे अवश्‍य ही रहने चाहिएँ जो नेकी की ओर बुलाएँ भलाई का आदेश दें और बुराइयों से रोकते रहें'' - quran 3:104
''धर्म के विषय में कोई ज़ोर-ज़बरदस्‍ती नहीं है - 2:256
''जो भी अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करेगा और बुराई से बचकर रहेगा वह अल्‍लाह का प्रिय बनेगा, क्‍यूंकि परहेज़गार लोग अल्‍लाह को पसन्‍द हैं'' 3:76
हिन्‍दीकोश ने www.quranhindi.com के अनुवाद को युनिकोड में प्रस्‍तुत किया है, A wordpad unicode(hindi) quran file
http://hindikosh.in/quran
जिसके कारण कमेंटस और आलेख तैयार करने में और बहुत से कुरआन से सम्‍बन्धित कार्यों में आसानी रहेगी, इस वेब से इसे मैंने word file मैं मुकम्‍मल डाउनलोड कर लिया है जिसको आवशयकता हो ले सकता है।



अनुवाद में बहुत सी आयतें ऐसी आयेंगी जिन्‍हें आप समझ न पायें या दूसरों को समझा न पायें तो उसके लिये मेरा मशवरा है कि सिकंदर जमाल जी के 35 साल के कुरआनी शिक्षा के अनुभव के बाद लिखा गया, "संबद्ध संगठित भावार्थ कुरआन उर्दू,हिन्दी" जो अभी पी डी एफ में है जरूर देख लें, इसमें कुरआन को समझने में विषय सूची भी बहुत रहनुमाई करती है, एक बार अवश्‍य देखें इन्‍शाअल्‍लाह तसल्‍ली बख्‍श जवाब पाओगे।


marboot munazzam mafhoomul quran
Quran Urdu Hindi Translation And Tafsir Part 1 ( 1)
https://archive.org/details/Quran-Urdu-HindiTranslation-AndTafsirPart11
-78 Mb
http://www.mediafire.com/file/vctjj1n8tz1224x/Quran-Urdu-Hindi-Translation-and-Tafsir-Part-1.pdf 

 Quran Urdu Hindi Translation And Tafsir Part 2
https://archive.org/details/Quran-Urdu-HindiTranslationAndTafsirPart2
-77 Mb
http://www.mediafire.com/file/p76t25nucy5dgb5/Quran-Urdu-Hindi-Translation-and-Tafsir-Part-2.pdf

 


मुद्रक
इस्लाकि पब्लिकेशन, 520 मटिया महल, जामा मस्जिद, दिल्ली 6

سکندر احمد کمال: Sikandar ahmad kamal books links


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विषय सूची
विषय आयत पृष्ठ
प्रस्तावना
अक्षर मुकत्तआत 35
कुरआन के प्रकाश में चलना 2:19-20 39
सूरत बनाने की चुनौती 2:23 41
हिदायत व गुमराही 2:26 45
दोबारा जीवन 2:28 48
घटना आदम का विवरण 50
अशरफुल मखलूकात 57
मलाईका 57
ईश्वर का वचन 2:40 58
अनूशंसा 2:48 59
जीव को बध करना 2:54 70
ईशदूतों का बध 2:61 72
ईमान व अमल की आयात 2:62 73
पहाड़ी दामन में प्रण 2:63 73
बन्दर हो जाओ 2:65 73
नर्क से निकलना 2:80-81 74
बनी इसराईल कुछ के अतिरिक्तऋ ऋ सब विमुख हो गए 2:83 77
अपमानित होना 2:85 77
मृत्यु की इच्छा करो यदि सच्चे हो 2:94 79
पुस्तक वालों में से अधिकांश ईमानऋ ऋ से खाली है 2:100 79
हारूत व मारूत क्या है 2:102 80
राइना के विषय में 2:104 82
नासिख व मनसूख क्या है 2:106 82
जाति को रसूल से प्रश्न करने को मना किया 2:108 84
कोई सहायक नहीं केवल ईश्वर 2:120 85
एक केन्द्र का आदेश 2:125 87
इब्राहीम अ. की प्रार्थना 2128-129 87
कुरआन की आयात सुनान 2:129 87
मिल्लते इब्राहीम का अनुकरण 2:130;22:78;17:122 88
सब धर्म और पुस्तक एक 2:136 89
मध्यवर्ती जाति 2:143-245 91
पहली इंसानी आबादी और विज्ञानऋ ऋ का आवष्किार 2:144 93
काबे की विवेचना, क्या काबा बदला गया
जो लोग ईश्वर के मार्ग में वध हुए
वह मुर्दा नहीं हैं 2:154-277 99
पूर्वजों का अनुकरण करना 2:170 104
ईश्वर की आयात के बदले दुनिया खरीद लेते हैं 2:174 105
इस्लाम के बुन्यादी आदेश और नेकी क्या है 2:177 105
सलात स्थापित करने से क्या अर्थ है 2:177 105
कसास 2:178 106
वसीयत करने का अधिकार 2:180 107
आस्तिक हिम्मत हारकर चित्कार नहीं करता 2:214 114
शराब अवैध है 2:219 115
अनेकेश्वरवादी पुरुष और स्त्री से विवाह न करो 2:221 115
स्त्री से खेती की उपमा 2:223 116
कुरू का अर्थ 2:228 117
सलातुलवस्ता 2:238 119
तलाक का विवरण 2:225:242 120
परिश्रम में सम्मान और जीवन 2:243 129
शब्द इज़्न का अर्थ 2:255, 7:123 131
ईश्वर की सलात मानव पर 2:257 132
फिरीज बनाना 2:259 132
परिन्दों की उपमा से ईश्वर ने प्रचार की विधि बताई 2:260 133
कपटी की उपमा चट्टान से 2:264 134
आस्तिक के व्यय करने की उपमा 2:265 134
बूढ़े आदमी और बाग की उपमा 2:266 135
दान देने का आदेश किस धन से 2:267 135
खेरन कसीरा युक्ति है जिसको युक्ति मिली
उसे खेर मिल गई 2:269 135
ऋण का लिखना निश्चित समय तक 2:282 137
रासिखूना फिलइल्म 3:7 140
धर्म केवल इस्लाम है 3:19 142
क्या रसूल परोक्ष जानते थे या जीवित हैं 3:23 142
सम्मान और अपमान और जीविका 3:26-27 143
अनुकरण रसूल से क्या अर्थ है 3:31 145
रिज़क का अर्थ जप 3:37 148
श्रीमान ज़करिया की प्रार्थना और ईश्वर का पुरस्कार 3:38-39 149
ज़करिया अ. को मरयम का पोषक बनाना 3:44 151
श्रीमान ईसा के द्वारा मृतक जीवित होना और
उनकी मृत्यु 3:49 152
आयत मुबाहिला पर विवेचना 3:61 158
मिलकर कार्य करने के बारे में 3:103 165
यहूद पर अपमान क्यो आया 3:112 166
अहले किताब की दशा की सूचना 3:113 166
फरिश्तों की सहायता के विषय में 3:126 168
आस्तिकों में रसूल का आना तो और भी आस्तिक थे 3:164 177
शीघ्र हिसाब लेने के विषय में 3:199 179
लेखा जोखा कर्म पत्र से होगा और कहाँ 3:199 179
आदम और हव्वा की पैदायश 4:1 180
पहला इंसान मिट्टी से पैदा हुआ या पानी से आरम्भ हुआ
चार विवाह कब और क्यों वैध हैं 4:3 190
अनाथ का धन देना 4:5से 10 192
तरके का विभाजन 4:11-12 197
किस से विवाह अवैध है 4:23-24 199
मुता अवैध है 4:23 200
बिना विवाह के दासी (अनुचरी) से मैथुन अवैध है 4:25 203
मामलाकत ईमान क्या है 4:25-23:7 203
पहले लोगों का तरीका बयान करना 4:26 205
अनेकेश्वरवाद बड़ा बाप है 4:48 211
कुरआन और मुहम्मद स. पर ईमान लाना अनिवार्य है 4:55 211
प्रसंग उलिल अमर या खिलाफत 4:59 212
कपटि के वध का आदेश कब और क्यों 4:88-89 217
आस्तिक को भूल से वध करने का दण्ड 4:92 218
आस्तिक को जानकर वध करने का दण्ड
और जंग जमल व सफीन 4:93 218.19
कसर नमाज़ और रकअत 4:101-103 220
पांच बातों पर विश्वास लाना अनिवार्य है 4:136 226
धर्मच्युत का दण्ड वध नहीं 4:137 227
ईश्वर और रसूल में अन्तर का क्या अर्थ है 4:150 229
क्या ईसा अ. को जीवित उठाया गया 4:158 230
ईसा अ. पर अहले किताब का विश्वास लाना 4:159 230
धर्म पूर्ण हो गया पर विवेचना 5:3 236
अहले किताब स्त्रीयों से विवाह? 5:5 238
स्वर्ग का अर्थ और बदहालियां 5:12 239
बनी इसराईल को चालीस वर्ष जंगल में भटकाना 5:26 241
बलिदान के विषय में 5:27 242
ईश्वर ने हर जाति को एक ही नियम दिया 22:27, 5:48 245
तौरेत और इन्जील को स्थापित करना और मुहम्मद स.को कुरआन पहुंचा देने का आदेश 5:66 से 68 248
शपथों का कफारा 5:89 253
नूर और अन्धकार क्या है 6:1 258
क़यामत अचानक आ जायेगी 6:2 259
दाब्बाह का अर्थ 6:38 262
ईश्वर ने अपनेऋ ऋ ऊपर अनुकम्पा अनिवार्य कर ली है का अर्थऋ ऋ 6:54 264
श्रीमान इब्राहीम और आज़र का प्रसंग 6:75 से 84 266
क्या याकूब अ. इब्राहीम अ. के पौते थे 6:85 270
क्या इब्राहीम अ. ने झूठ बोले? 272
यहूद पर उनकी अवज्ञा के कारण वंचन हो गई थी 6:141से146 279
कर्म का भार हलका भारी होना 7:8-9 287
आदम का वस्त्र उतरवाना 7:26-27 289
इल्ला अंय्यशाअल्ला का अर्थ 7:89 265
क्या मुहम्मद स.अनपढ़ उम्मी थे 7:157 303
भार हल्का करना और बंधन खोलना
बारा दल बनाने के बारे में 7:160 306
और मूसा अ. भू ज्ञाता थे
शब्द हित्ततुन 7:161 307
अनफालका अर्थ 8:1 312
क्या कुरआन में दान का विवरण नहीं? 8:41 317
एक अस्तिक दस नास्तिकों पर भारी 8:65 324
शब्द सलात पर विवेचना और विश्व हिन्दू परिषद की आपत्ति का उत्तर 9:5, 11:87 327-335
अनेकेश्वर वादी सम्मानित मस्जिद के पास न जायें 9:28 337
कान होने का अर्थ 9:61 342
क्या मुहम्मद स.ने कपटि की नमाज अर्था पढ़ाई 9:80-84 345-348
दान लेना शान्ति का कारण क्यों 9:103 350
मुहम्मद स. का अपने जीवन का प्रमाण प्रस्तुत करना कि मैं तुम्हारे साथ रहा हूँ 10:15 355
मुहम्मद स. से चमत्कार की मांग और उनका उत्तर 10:20 356
इन्सान कहीं कुछ भी करता है ईश्वर देखता है और हर छोटी बड़ी वस्तु उज्ज्वल पुस्तक में लिखी है 10:61 360
धर्म में बलात (जबरदस्ती) नहीं 10:99 364
फला अल्लका तारिकुन पर बहस 11:12 369
क्या स्वर्ग नर्क से निकाला जायेगा? 11:107 378
हक़ व बातिल की उपमा 13:17 401
कुरआन जादू की पुस्तक नहीं व्यवहार के लिये है 13:31 404
पृथ्वी का किनारों से कम होना और राज्य मिलना 13:41 406
अनुकरण ईश्वर व रसूल 13:41 406
जैसी करनी वैसी भरनी 14:4-7 407
शहाबे साकिब के बारे में क्या शैतान ईश्वर की बातों को सुन सकते हैं 15:18 414
लूत अ. ने जाति से क्या कहा 15:71 419
अलहमद के साथ हर रकअत में कुरआन पढ़ा जायेगा 15:87 420
हर एक को अपना किया हुआ मिलेगा 16:111 432
मेराज 17:1 434
मुहम्मद स. को जादू का मारा कहने वाला पथ भ्रष्ट है 17:48 441
शजरा का अर्थ 17:60 443
मानव सब रचना से श्रेष्ठ नहीं 17:70 444
नमाज के समय 17:78 445
नमाज़ पढ़ने का कुरआनी तरीका 17:110 449
आज का काम कल पर न छोड़ो आज करो 18:23-24 454
उत्पत्ती पहले मिट्टी से फिर वीर्ये से 18:37 455
मूसा अ. किससे मिले थे खिजर नाम के रसूल या जिबरईल से? 18:77 459
याजूज माजूज का अर्थ 18:92,93,94 462
याकूब अ. और इसराईल अलग अलग हैं 19:58 471
नर्क में उपस्थिति कैसी? 19:71 474
कुरआन सरल है इस को समझना अनिवार्यहै और इसके अनुसार कार्य हों अत: हर भाषा में अनुवाद होना अनिवार्य है सहमति से 19:97 447
रसूल से तात्पर्य मूसा है या जिबरईल 20:96 485
कुरआन की वही अपने समय पर पूरा होगी शीघ्रता न करों 20:114 487
कुरआन में तुम्हारा ही जिक्र है 21:10 494
मुस्लिम जाति आयत करीमा का जप तो करती है परन्तु पश्चाताप नहीं करती तो इसके साथ क्या हो रहा है 495
आकाश सुरक्षित छत 21:32 497
मुहम्मद स. से पहले किसी को जीवित नहीं रखा गया और मुहम्मद स. को भी सदा जीवित नहीं रहना था तो फिर ईसा अ. जीवित कैसे हैं उनको भी मृत्यु आ चुकी और जीवधारी को मरना है 21:34-35 497
इब्राहीम अ. के झूठ बोलने की घटना 21:64 499
सुलेमान अ. के आदेश से वायु का चलना 21:81, 27:16 501
श्रीमान यूनुस अ. की तौबा का ज़िक्र 21:87 502
सबसे पहली आबादी कहां हुई 22:33 508
पहले रसूलों के साथ ऐसा ही हुआ है कि शैतान उनके कार्य में रुकावट डालता था और अब भी शुभ कार्यों में रुकावट डालता है 22:52 510
बलात्कार का दण्ड क्या है? 24:1 523
इफक का प्रसंग क्या है, क्या आयशा र0 पर बोहतान लगा 24:11 527
परदे का आदेश 24:60 535
ईश्वर ने अपने नबी स. को यह अनुमति दी थी कि जिसको चाहें जाने की आज्ञा दें और जिसको चाहें न दे 24:62 536
मुहम्मद स. की मृत्यु के बाद नेता का अनुकरण करना है 536
ईश्वर ने हर वस्तु का भाग्य बनाया 25:2 537
कुरआन छोड़ने की शिकायत 25:30 541
अशीर का अर्थ निकट रहने वालों को डर सुना दो 26:214 554
नमल कौन है 27:18 556
सुलेमान के पास किताबी ज्ञान वाला कौन था 27:40 559
किसी को मिटना है और किसी को शेष रहना है 27:62 561
दाब्बाह फिल अर्ज 27:62 563
वध के विषय में ईश्वर ने मूसा को क्षमा दान दे दिया 28:16 565
मूसा अ. ने किस को पकड़ा था 28:19 565
हाथ सुकेड़ने के बारे में 28:32 567
दाब्बाह का अर्थ 29:60 579
गुलिबतिर्रूम का अर्थ 30:2 580
अनेकेश्वर वाद और मतभेद बुरा है 30:32 586
मुहम्मद स. ने अपनी पत्नियों से ज्ञात किया धन के बारे में कि जरूरत हो तो दूं और विदा कर दूं 33:28 602
शब्द अहलेबेत का अर्थ 33:33 603
इबने रसूल क्या है और अजवाज को प्रचार का आदेश
ज़ैद की तलाक़ का जिक्र 33:37 606-615
दरूद व सलाम 33:43 615-619
धरोहर पृथ्वी व आकाश ने न ली इंसान ने ली 33:72 622
क्या जिन्न परोक्षा ज्ञाता है और फारूक आज़म का विवेक 34:14 625
सबा जाति का वर्णन 34:15से17 626
सफर में दूरी करने को कहना 34:19 627
ईश्वर ने मुख्य बन्दों को चुना 35:32 634
क्या उस मोमिन को वध किया गया 36:26,27 637
तो वह हो जाती है 36:82 638
सूर्य विरोध नहीं करेगा 36:40 639
मुहम्मद स. कुरआन का विरोध नहीं करेंगे 36:69 641
हर वस्तु बना रखी है जब उसका समय आता है
यूनुस अ. का जिक्र 37:139 648
दाऊद अ. का जिक्र और क्षमा मांगना
सुलेमान की प्रार्थना क्या सुलेमान हासिद थे? 38:34-35 654
अय्यूब अ. की शपथ का जिक्र 38:42 655
फिरऔन वालों को प्रात: सायं यातना के सामने किया जाना क्या अर्थ 40:46 670
नबी स. के क्षमा मांगने का क्या अर्थ 40:55 671
उजरत से क्या मुराद है 42:23 682
मुहम्मद स. नबुवत मिलने से पहले पुस्तक व ईमान को नहीं जानते थे 42:52 684
क्या ईश्वर की पुस्तक भी रसूल है? 43:45 688
क्या ईसा क्यामत के चिन्ह हैं या फरिश्ते? 43:61 689
शजरातुज्जक्कूम 44:43 694
कुरआन ने दासी, दास बनाने को अवैध कहा है 47:4 702
खमरिल लज्जतिल्लिश्शारबीन का अर्थ 47:15 703
फतेह मुबीन क्या है? 48:1 706
गनीमत का एक अर्थ रहमत पुरस्कार और सहायता भी है 48:20 709
नज्म के बारे में 53:1 721
हर मानव को अपना किया हुआ मिलेगा 53:38-41 724
चाँद फटा नहीं फटेगा 54:1 725
पृथ्वी से चाँद की यात्रा 55:33 732
स्वर्ग में वह मिलेगा जो उससे पहले किसी जिन्न व इन्स ने न खाया होगा न छुआ होगा न देखा होगा 55:56-77 733
क्या इस समस्या का अवतर्ण पहले नहीं हुआ था 58:1-2 741
नबी से अलग बात करना 58:12-13 744
माल फै किसका है ‘‘हशर’’ 59:5:10 746-748
62:11 का शाने नजूल और खुतबा में खड़े छोड़ने के बारे में 62:11 755
मछली वाले की भाति न हो जाना धैर्य करो 68:48 767
यौम की मिकदार 770
हिदायत व गुमराही इन्सान के अपने कर्म पर 76:3 785
बेरुखी किसने बरती क्या मुहम्मद स. ऐसा काम कर सकते थे? 80:1से10 792
तारिक से तात्पर्य क्या है? 86:3 800
राहे अमल क्या है 87:3 801
क्या मुहम्मद स. को वही भुला दी जाती थी 87:7 801
पुल सिरात क्या है 90:11:20 805-806
दिन रात के बारे में नोट 93:1-2 808
तारीक रात क्या है? (कदर) 812
सूरत फील का मूल भावार्थ 817
सूरत फलक व नास का मूल भावार्थ 822-823
शजरतुज्जक्कूम 37:60-68 645
40:43-50, 54:50-56

कुरआन मजीद की सूरतों की सूची भी दी गयी है
अधिक जानकारी के लिये सम्‍पर्क करें
सिकन्दर अहमद कमालआदम नगर बरौली रोडअलीगढ़
sikandarahmadkamal@gmail.com
.............
अंत में आप सभी धर्म प्रेमियों से निवेदन है कि हिन्‍दी कोश के द्वारा युनिकोड में प्रस्‍तुत कुरआन के अनुवाद को पढें और उसमें कोई गल्‍ती देखें तो सुचित करें ताकि मैं वर्ड फाइल में वह ठीक कर लूं और हिन्‍दी कोश से भी ठीक कराया जाये, मैंने कुछ बातों की और इनका धयान दिलाया था जो वहां ठीक कर दी गयी हैं, देखें...
http://hindikosh.in/quran
or
download A wordpad unicode(hindi) quran file

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10 comments:

Mohammed Umar Kairanvi said...

February 2009 में शुरू किया गया यह ब्‍लाग आज 16 February 2010 में ब्‍लागवाणी पर आया या आयेगा,
गुरू लोग कह गये
''निरन्‍तर प्रयास से रखो सफलता की आस''

Aslam Qasmi said...

bhot achhi jaankari men iski talash men tha,

merajkhan said...

badhiya

Unknown said...

chalo badhiya he hindi kosh ne GEETA ke sath quran ko bhi de diya

khalid khan said...

कैरान्‍वी भाई, सिकन्‍दर जी अनुवाद किया हुआ कुरआन भी युनिकोड में मिल सकता हो तो बतायें मुझे तफसीर के साथ कुरान की बहुत ज़रूरत है

Unknown said...

bekar ki baten hen khao piyo maze karo

Anonymous said...

''धर्म के विषय में कोई ज़ोर-ज़बरदस्‍ती नहीं है - 2:256
magar post padhwane men zabardasti he?

Mohammed Umar Kairanvi said...

@ khalid साहब युनिकोड में मधुर संदेश संगम अर्थात जमाते इस्‍लामी का ही उपलब्‍ध हुआ है, सिकन्‍दर साहब का अभी केवल pdf के रूप में है, आप इसे देखें फिर मशवरों से नवाजें,इन्‍शा अल्‍लाह यह भी यूनिकोड में हो जायेगा, अभी तो युनिकोड वाले में केवल अनुवाद है जबकि सिकन्‍दर जमाल साहब ने लगभग हर आयत के अनुवाद पर तफसील से समझाया भी है,

Anonymous said...

You have to express more your opinion to attract more readers, because just a video or plain text without any personal approach is not that valuable. But it is just form my point of view

BeingLiimras said...

a/wlaikum mein aap sabko apni aur ane muslman bhaiyon ki taraf se miladul eid ki kushiya aur barkat kehna chata hoon...a/h